रमेश भसीन नहीं रहें ...
परासिया ; नगर के प्रतिष्ठित भसीन परिवार के वरिष्ठ सदस्य और पंजाब ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालक जगदीश भसीन के बड़े भाता श्री रमेश भसीन का ८ जून को चंडीगढ़ में निधन होगया वे ७६ वर्ष के थे स्वर्गीय देशराज भसीन जी की पांच संतानो ३ पुत्रो २ पुत्री में सबसे बड़ी रमेश भसीन अपनी किशोरावस्था से ही सरल, सहज खुशमिजाज और मिलनसार व्यक्तित्व के धनि थे, पेंचवेली स्कुल के १९६२ मेट्रिक पासआउट होकर वे इंजीनियरिंग के लिए रायपुर गए फिर वापस जाकर पंजाब ऑटोमोबाइल्स का प्रारंभ किया, 1965 से 1970 के बीच
जंगल से लकड़ी ट्रांसपोर्टेशन का इस क्षेत्र का प्रमुख व्यवसाय हुआ करता था
था । इस व्यवसाय में अपने एकमात्र ट्रक जिसे उस समय के लोग कटरपीला के नामसे जानते थे ,से प्रारंभ किया कड़ी मेहनत और अपने साहस के बल पर
उन्होंने बहुत ही कम समय में अपने व्यवसाय की स्थिति को
मजबूत कर ऊंचाई पर पहुँचाया । सदैव बडी सोच ,अथक परिश्रम
और हार न मानने वाली हिम्मत और हौसलों के दम पर
उन्होंने बहुत कम समय में सफल बिजनेसमैन के रुप में अपना सम्मान
जनक स्थान बनाने में सफलता प्राप्त की राष्ट्रीयकरण के बाद कोयला
खदानों के स्वरुप और कार्यप्रणाली में बेहिसाब परिवर्तन हुआ ,इस
परिवर्तन को समझकर अपने व्यापार की भूमिका तय करने वाले रमेश
भसीन ने पंजाब ट्रांसपोर्ट नामक कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी एवं कोयले का
व्यवसाय प्रारंभ किया और उसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं
देखा,अपने जीवन में सर्वाधिक प्रभावित करने वाले करमचंद थापर
कंपनी के अनेकों संस्मरण को वे सुनाया करते थे, बल्लारपुर पेपर मिल
के सम्पर्क में,भी वे लम्बे समय रहे , पंचकुला मैं उनका पैरामाउंट पेपर
मील प्रारंभ करना भी शायद इन सब प्रेरणा का प्रभाव रहा हो । 1968
69 फिल्म तेरे मेरे सपने की शूटिंग न्यूटन कॉलरी और परासिया के आसपास के
कुछ क्षेत्रों में हुई देवानंद और मुमताज की फिल्म थी.
निर्माता एवं डायरेक्टर चेतन आनंद को कुछ सीन फिल््माने के लिए हुड वाली कार
की आवश्यकता थी, ऐसी कार पंजाब ऑटोमोबाइल के संचालक
रमेश भसीन जी के पास थी फिर क्या था चेतन आनंद ने रमेश भसीन जी से संपर्क
कर उस कार को लेकर फिल्म शूटिंग को पूरा किया।
आज भी फिल्म में उस कार को देखा जा सकता है, मित्र बताते है रमेश भैया रात 9
और 10:00 के बीच किसी न किसी नई कार में अपने मित्रो को साथ लेकर
, कहते चलो छिंदवाड़ा चाय पीकर आते है और रात्रि 12 बजे तक लंबी ड्रायविंग
करके वापस परासिया आते थे, यह घटना
उनके सहपाठी और मित्र आज भी याद करते हैं। रमेश भैया का अपने सहकर्मियों के साथ भी व्यवहार
इतना मधुर और सहयोगात्मक होता था के वह बड़े से बड़े गलती पर
ड्राइवर कंडक्टर मैकेनिक आदि को डांटते नहीं बल्कि समझाते थे। आज भी पुराने ड्राइवर कंडक्टर उनके स्वाभाव की प्रशंसा करते नहीं थकते
नगर की ऐसी शख्सियत जिसने कोयलांचल के जुन्नारदेव परसिया क्षेत्र को गौरवान्वित किया सफलता के झंडे गाड़े और अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया किन्तु वे अपनी मातृभूमि को कभी नहीं भूले ऐसे व्यक्तित्व को वणीसिटी परिवार अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुवे शत शत नमन करता है